वास्तु शास्त्र भारतीय समाज की बहुत ही पुरानी परंपरा है। घर बनाते समय अगर इसके नियमों का पालन किया जाए तो जीवन सुखमय बन जाता है। वास्तु में दिशाओं का भी बहुत बड़ा महत्व है। यदि घर में गलत दिशा में कोई निर्माण होगा तो उससे परिवार को किसी न किसी तरह की हानि होगी।
घर बनावाते समय अगर वास्तु शास्त्र के कुछ नियमों का पालन किया जाए तो परिवार में सुख-शांति तथा समृद्धि हमेशा बनी रहती है। इसीलिए आईए जानते है घर बनाने से संबंधित कुछ वास्तु टिप्स
घर को हमेशा बड़ा व चौड़ा बनाना चाहिए क्योंकि संकरा व लंबा घर परेशानी का कारण बन सकता है। घर का मुख्य दरवाजा पूर्व के मध्य में न होकर उत्तर पूर्व की ओर या दक्षिण पूर्व की ओर रखना चाहिए।
और घर हमेशा हर तरफ से खुला रहना चाहिए, इसका मतलब यह है कि यह किसी भी अन्य इमारत से सटा हुआ नही होना चाहिए अर्थात दो घरों का दिवार एक दुसरे घरो को जुड़ता हुआ नहीं रहना चाहिए मतलब दोनों घरो की दिवार अलग-अलग होनी चाहिए।
उत्तर दिशा की ओर ही घर के सबसे ज्यादा खिड़की और दरवाजे बनाना चाहिए। घर की बालकनी व वॉश बेसिन भी उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। वास्तु की माने तो इससे धन की हानि व करियर सम्बंधित आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
घर बनाते House Construction समय बैडरूम की दिशा ?
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में बैडरूम को दक्षिण पश्चिम या उत्तर पश्चिम की ओर ही बनाना चाहिए तथा स्नान घर को हमेशा पूर्व दिशा की ओर बनाना चाहिए, पूर्व दिशा इसके लिए उचित दिशा मानी जाती है।
घर में बच्चों के पढ़ाई का कमरा पूर्व, उत्तर, या उत्तर-पूर्व दिशा में रखना चाहिए। माना जाता है कि इससे बच्चों के ज्ञान में वृद्धि होती है।
घर बनाते समय रसोई कक्ष की दिशा ?
रसोई बनाने के लिए आग्नेय कोण पूर्व-दक्षिण दिशा को सबसे महत्वपूर्ण दिशा माना जाता है यानि आप जब भी किचन बनाएं तो आग्नेय कोण पूर्व-दक्षिण में ही बनाएं।
घर में मंदिर को वास्तु के अनुसार हमेशा उत्तर पूर्वी की दिशा में बनवाना चाहिए क्योंकि इससे सुख-समृद्धि व शान्ति में वृद्धि होती है।
टॉयलेट की दिशा
घर में टॉयलेट को दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण दिशा में होना अच्छा माना जाता है। घर निर्माण का समय यह एक महत्वपूर्ण बातें है जो आपके जीवन को पूरी तरह से सुख, शांति और समृद्धि से भर देती है। इस प्रकार कई महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है जिससे कि आपका घर न केवल दृश्यमंत्र से भरा हो, बल्कि उसमें सकारात्मक ऊर्जा भी बनी रहे।
घरो में प्राकृतिक तत्वों का उपयोग:-
घर निर्माण के दौरान प्रदूषण को कम करने के लिए योजना बनाएं और पर्यावरण संरक्षण का उपयोग करें घर में प्राकृतिक तत्वों का अच्छे तरीके से उपयोग करें जैसे – पौधों, जल और वायु को अच्छी तरह से व्यवस्थित रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है
घर निर्माण के दौरान प्रदूषण को कम करने के लिए योजना बनाएं और पर्यावरण संरक्षण का उपयोग करें
संतुलित रंग से पेंट:
घर की दीवारों को संतुलित और शांति भरे रंगों से पेंट करें जो घर के सदस्यों को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं। घर में साफ-सफाई रखें और उसे स्वच्छ रखने का प्रयास करें।सभी सदस्यों के बीच संतुलन का भी ध्यान रखें।
घर बनाते समय उपर दिए गए इन सभी वास्तु टिप्स का पालन करने से घर को शुभ और सकारात्मक ऊर्जा से भरा रह सकता है, जिसके वजह से आपके परिवार को हमेशा सुख-शांति और समृद्धि का आनंद मिलता रहेगा।
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